रिपोर्ट: ज्योत्सना सिंह
यदि आप लम्बे समय से किसी बिमारी से ग्रसित हैं और हर प्रकार के इलाज के बाद भी आपको उस बिमारी से छुटकारा नहीं मिल रहा है। तो ये जानकारी आपके लिए बेहद लाभकारी होने वाली है।

यहां हम बात कर रहे हैं इलेक्ट्रो होम्योपैथी की। जो लोग इलेक्ट्रो होम्योपेथी से अभी तक वाकिफ़ नहीं है उन्हे बता दें कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी 19वीं शताब्दी में इजाद हुई एक चिकित्सा पद्धति है जिसमें औषधीय पौधे में व्याप्त ऊर्जा का प्रयोग कर एक खा़स विधि के माध्यम से दवाओं का निर्माण किया जाता है। यह दवाएं इतनी असरदार होती हैं जो हर असाध्य बीमारियों को साधने में सफल होती हैं चाहे बीमारी अनुवांशिक हो या अधिगृहित यानि वंश दर वंश चली आ रही बीमारी इलेक्ट्रो होम्म्योपेथी चिकित्सा के माध्यम से ठीक हो जाती है और आने वाली पीढ़ी उस रोग से पूरी तरह मुक्त हो जाती है।
कैंसर जैसे असाध्य कहे जाने वाले रोगों में इलेक्ट्रो होम्योपैथी की दवाएं अत्यंत प्रभावकारी हैं। कई केसों में यह देखा गया गया कि इलेकट्रो होम्योपैथी की दवा गैंग्रीनॉल फोर्ट कैंसर के ट्यूमर में होने वाले असहनीय दर्द और सूजन में रोगी को 15 से 20 मिनट के अंदर राहत पहुंचाती है।
इलेक्ट्रो होम्योपैथी को होम्योपैथी समझने की भूल बिल्कुल न करें
होम्योपैथी की खोज एक जर्मन चिकित्सक डॉ. क्रिश्चन फ्रेडरिक सैमुएल हैनिमैन ने सन् 1796 में की जिसके अन्तर्गत बीमारी के लक्षणों के आधार पर चिकित्सा की जाती हैं। वहीं इलेक्ट्रो होम्योपैथी की खोज इटली के ज़मीदार परिवार में जन्में काउन्ट सीज़र मैटी ने सन् 1865 में की। काउन्ट सीज़र मैटी ने तत्कालीन चिकित्सा पद्धति में बहुत सी खामियों को महसूस किया और उन्हें जब सभी प्रकार की बीमारियों खासकर कैंसर जैसी घातक बीमारियों में तत्कालीन चिकित्सा पद्धति घुटने टेकते नज़र आई तो उन्होंने जीव एवं पौधों की ऊर्जा पर गहन अध्ययन किया और उन्होंने पाया की मानव में उत्पन्न होने वाली सभी प्रकार की बीमारी रक्त और रस में आई विकृति के कारण होती है। फिर उन्होंने औषधीय पौधों की ऊर्जा से एक खास विधि के माध्यम से उन दवाओं का निर्माण किया जिसने उस समय की चिकित्सा पद्धति में क्रांति ला दी। यह दवाएं पूर्णतः पौधे पर अधारित होती हैं और उनका स्वस्थ शरीर पर कोई भी कुप्रभाव नहीं होता।



0 Comments