इलेक्ट्रो होम्योपैथीः स्वस्थ जीवन का वरदान

 प्रथम सुख निरोगी काया अर्थात् स्वस्थ शरीर ही मानव जीवन का सबसे पहला सुख है।


वर्तमान में शायद ही लोग इस बात पर अमल करते हैं तभी तो वह अपने जीवन में स्वास्थ्य को प्राथमिकता न देकर भौतिक जीवन की वस्तुओं के उपभोग के पीछे भागते रहते हैं। वह इस बात से अनजान होते हैं कि अगर स्वस्थ शरीर ही नहीं रहा तो वह इसके बिना भौतिक वस्तुओं का उपभोग कैसे कर पाएंगे?

वर्तमान में मानव कई तरह के रोग और वायरस से संघर्ष कर रहा है। वहीं दूसरी ओर विज्ञान भी तेज़ी से विकास तो कर रहा है पर अभी भी कई बीमारियों और वायरस के मामलों में विज्ञान मौन है? सवाल यह उठता है कि क्या कोई ऐसा इलाज नहीं जो मनुष्य को बीमारी होने ही न दें या अगर वह किसी रोग के चपेट में आ भी गया है तो वह रोग जड़ से ही खत्म हो जाए? 

इलेक्ट्रो होम्योपैथी: हर बीमारी को भगाए कोसो दूर

विश्व की पांचवी चिकित्सा पद्धति इलेक्ट्रो होम्योपैथी वह चिकित्सा विज्ञान है जो मनुष्य की प्राण ऊर्जा पर आधारित है। यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी वह अचूक बाण है जो सीधा मानव की ऊर्जा पर कार्य कर अंगों को स्वस्थ्य करती हैैं और यह शीघ्र ही रोगी को बीमारी से मुक्त करती हैं। इलेक्ट्रो होम्योपैथी की औषधियां पूर्णतः पौधो से निर्मित की जाती है जिसके प्रयोग से रोग पास तो क्या दूर-दूर तक भी नहीं फटकता।  इलेक्ट्रो होम्योपैथी की औषधियां शरीर को पूर्णतः शुद्ध कर उसे मजूत बनाती हैं।

इलेक्ट्रो होम्योपैथी के जनक डॉ. काउंट सीजर मेटी

इलेक्ट्रो होम्योपैथी का इतिहास

इस चिकित्सा पद्धति का जन्म इटली में हुआ। डॉ. काउंट सीजर मेटी द्वारा सन 1865 में इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति का अविष्कार किया गया। डॉ. मैटी द्वारा मानव शरीर के रस और रक्त के दूषित होने को बीमारी की उत्पत्ति का कारण मानते हुये केवल पौधों के प्रयोग से 38 दवाओं का निर्माण किया गया। भारत में इस चिकित्सा पद्धति से वर्षों से इलाज किया जा रहा है पर इसके प्रति जानकारी का अभाव होने के कारण यह चिकित्सा पद्धति अन्य चिकित्सा पद्धति के मुकाबले लोगों द्वारा कम प्रयोग में लाई जाती है। 

वर्तमान में इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से कई असाध्य रोगों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा रहा है।






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